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Sura 24
Aya 33
33
وَليَستَعفِفِ الَّذينَ لا يَجِدونَ نِكاحًا حَتّىٰ يُغنِيَهُمُ اللَّهُ مِن فَضلِهِ ۗ وَالَّذينَ يَبتَغونَ الكِتابَ مِمّا مَلَكَت أَيمانُكُم فَكاتِبوهُم إِن عَلِمتُم فيهِم خَيرًا ۖ وَآتوهُم مِن مالِ اللَّهِ الَّذي آتاكُم ۚ وَلا تُكرِهوا فَتَياتِكُم عَلَى البِغاءِ إِن أَرَدنَ تَحَصُّنًا لِتَبتَغوا عَرَضَ الحَياةِ الدُّنيا ۚ وَمَن يُكرِههُنَّ فَإِنَّ اللَّهَ مِن بَعدِ إِكراهِهِنَّ غَفورٌ رَحيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो विवाह का अवसर न पा रहे हो उन्हें चाहिए कि पाकदामनी अपनाए रहें, यहाँ तक कि अल्लाह अपने उदार अनुग्रह से उन्हें समृद्ध कर दे। और जिन लोगों पर तुम्हें स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हो उनमें से जो लोग लिखा-पढ़ी के इच्छुक हो उनसे लिखा-पढ़ी कर लो, यदि तुम्हें मालूम हो कि उनमें भलाई है। और उन्हें अल्लाह के माल में से दो, जो उसने तुम्हें प्रदान किया है। और अपनी लौंडियों को सांसारिक जीवन-सामग्री की चाह में व्यविचार के लिए बाध्य न करो, जबकि वे पाकदामन रहना भी चाहती हों। औऱ इसके लिए जो कोई उन्हें बाध्य करेगा, तो निश्चय ही अल्लाह उनके बाध्य किए जाने के पश्चात अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है