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Sura 22
Aya 78
78
وَجاهِدوا فِي اللَّهِ حَقَّ جِهادِهِ ۚ هُوَ اجتَباكُم وَما جَعَلَ عَلَيكُم فِي الدّينِ مِن حَرَجٍ ۚ مِلَّةَ أَبيكُم إِبراهيمَ ۚ هُوَ سَمّاكُمُ المُسلِمينَ مِن قَبلُ وَفي هٰذا لِيَكونَ الرَّسولُ شَهيدًا عَلَيكُم وَتَكونوا شُهَداءَ عَلَى النّاسِ ۚ فَأَقيمُوا الصَّلاةَ وَآتُوا الزَّكاةَ وَاعتَصِموا بِاللَّهِ هُوَ مَولاكُم ۖ فَنِعمَ المَولىٰ وَنِعمَ النَّصيرُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ताकि तुम कामयाब हो और जो हक़ जिहाद करने का है खुदा की राह में जिहाद करो उसी नें तुमको बरगुज़ीदा किया और उमूरे दीन में तुम पर किसी तरह की सख्ती नहीं की तुम्हारे बाप इबराहीम ने मजहब को (तुम्हारा मज़हब बना दिया उसी (खुदा) ने तुम्हारा पहले ही से मुसलमान (फरमाबरदार बन्दे) नाम रखा और कुरान में भी (तो जिहाद करो) ताकि रसूल तुम्हारे मुक़ाबले में गवाह बने और तुम पाबन्दी से नामज़ पढ़ा करो और ज़कात देते रहो और खुदा ही (के एहकाम) को मज़बूत पकड़ो वही तुम्हारा सरपरस्त है तो क्या अच्छा सरपरस्त है और क्या अच्छा मददगार है