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Sura 22
Aya 48
48
وَكَأَيِّن مِن قَريَةٍ أَملَيتُ لَها وَهِيَ ظالِمَةٌ ثُمَّ أَخَذتُها وَإِلَيَّ المَصيرُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और कितनी बस्तियाँ हैं कि मैंने उन्हें (चन्द) मोहलत दी हालाँकि वह सरकश थी फिर (आख़िर) मैंने उन्हें ले डाला और (सबको) मेरी तरफ लौटना है