You are here: Home » Chapter 22 » Verse 48 » Translation
Sura 22
Aya 48
48
وَكَأَيِّن مِن قَريَةٍ أَملَيتُ لَها وَهِيَ ظالِمَةٌ ثُمَّ أَخَذتُها وَإِلَيَّ المَصيرُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कितनी ही बस्तियाँ है जिनको मैंने मुहलत दी इस दशा में कि वे ज़ालिम थीं। फिर मैंने उन्हें पकड़ लिया और अन्ततः आना तो मेरी ही ओर है