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Sura 2
Aya 90
90
بِئسَمَا اشتَرَوا بِهِ أَنفُسَهُم أَن يَكفُروا بِما أَنزَلَ اللَّهُ بَغيًا أَن يُنَزِّلَ اللَّهُ مِن فَضلِهِ عَلىٰ مَن يَشاءُ مِن عِبادِهِ ۖ فَباءوا بِغَضَبٍ عَلىٰ غَضَبٍ ۚ وَلِلكافِرينَ عَذابٌ مُهينٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या ही बुरी चीज़ है जिसके बदले उन्होंने अपनी जानों का सौदा किया, अर्थात जो कुछ अल्लाह ने उतारा है उसे सरकशी और इस अप्रियता के कारण नहीं मानते कि अल्लाह अपना फ़ज़्ल (कृपा) अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है क्यों उतारता है, अतः वे प्रकोप पर प्रकोप के अधिकारी हो गए है। और ऐसे इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है