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Sura 2
Aya 83
83
وَإِذ أَخَذنا ميثاقَ بَني إِسرائيلَ لا تَعبُدونَ إِلَّا اللَّهَ وَبِالوالِدَينِ إِحسانًا وَذِي القُربىٰ وَاليَتامىٰ وَالمَساكينِ وَقولوا لِلنّاسِ حُسنًا وَأَقيمُوا الصَّلاةَ وَآتُوا الزَّكاةَ ثُمَّ تَوَلَّيتُم إِلّا قَليلًا مِنكُم وَأَنتُم مُعرِضونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (वह वक्त याद करो) जब हमने बनी ईसराइल से (जो तुम्हारे बुर्जुग़ थे) अहद व पैमान लिया था कि खुदा के सिवा किसी की इबादत न करना और माँ बाप और क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों के साथ अच्छे सुलूक करना और लोगों के साथ अच्छी तरह (नरमी) से बातें करना और बराबर नमाज़ पढ़ना और ज़कात देना फिर तुममें से थोड़े आदिमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले