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Sura 2
Aya 60
60
۞ وَإِذِ استَسقىٰ موسىٰ لِقَومِهِ فَقُلنَا اضرِب بِعَصاكَ الحَجَرَ ۖ فَانفَجَرَت مِنهُ اثنَتا عَشرَةَ عَينًا ۖ قَد عَلِمَ كُلُّ أُناسٍ مَشرَبَهُم ۖ كُلوا وَاشرَبوا مِن رِزقِ اللَّهِ وَلا تَعثَوا فِي الأَرضِ مُفسِدينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (वह वक्त भी याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम के लिए पानी माँगा तो हमने कहा (ऐ मूसा) अपनी लाठी पत्थर पर मारो (लाठी मारते ही) उसमें से बारह चश्में फूट निकले और सब लोगों ने अपना-अपना घाट बखूबी जान लिया और हमने आम इजाज़त दे दी कि खुदा की दी हुईरोज़ी से खाओ पियो और मुल्क में फसाद न करते फिरो