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Sura 2
Aya 41
41
وَآمِنوا بِما أَنزَلتُ مُصَدِّقًا لِما مَعَكُم وَلا تَكونوا أَوَّلَ كافِرٍ بِهِ ۖ وَلا تَشتَروا بِآياتي ثَمَنًا قَليلًا وَإِيّايَ فَاتَّقونِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जो (कुरान) मैंने नाज़िल किया वह उस किताब (तौरेत) की (भी) तसदीक़ करता हूँ जो तुम्हारे पास है और तुम सबसे चले उसके इन्कार पर मौजूद न हो जाओ और मेरी आयतों के बदले थोड़ी क़ीमत (दुनयावी फायदा) न लो और मुझ ही से डरते रहो