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Sura 2
Aya 273
273
لِلفُقَراءِ الَّذينَ أُحصِروا في سَبيلِ اللَّهِ لا يَستَطيعونَ ضَربًا فِي الأَرضِ يَحسَبُهُمُ الجاهِلُ أَغنِياءَ مِنَ التَّعَفُّفِ تَعرِفُهُم بِسيماهُم لا يَسأَلونَ النّاسَ إِلحافًا ۗ وَما تُنفِقوا مِن خَيرٍ فَإِنَّ اللَّهَ بِهِ عَليمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(यह खैरात) ख़ास उन हाजतमन्दों के लिए है जो ख़ुदा की राह में घिर गये हो (और) रूए ज़मीन पर (जाना चाहें तो) चल नहीं सकते नावाक़िफ़ उनको सवाल न करने की वजह से अमीर समझते हैं (लेकिन) तू (ऐ मुख़ातिब अगर उनको देखे) तो उनकी सूरत से ताड़ जाये (कि ये मोहताज हैं अगरचे) लोगों से चिमट के सवाल नहीं करते और जो कुछ भी तुम नेक काम में ख़र्च करते हो ख़ुदा उसको ज़रूर जानता है