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Sura 2
Aya 266
266
أَيَوَدُّ أَحَدُكُم أَن تَكونَ لَهُ جَنَّةٌ مِن نَخيلٍ وَأَعنابٍ تَجري مِن تَحتِهَا الأَنهارُ لَهُ فيها مِن كُلِّ الثَّمَراتِ وَأَصابَهُ الكِبَرُ وَلَهُ ذُرِّيَّةٌ ضُعَفاءُ فَأَصابَها إِعصارٌ فيهِ نارٌ فَاحتَرَقَت ۗ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُمُ الآياتِ لَعَلَّكُم تَتَفَكَّرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

भला तुम में कोई भी इसको पसन्द करेगा कि उसके लिए खजूरों और अंगूरों का एक बाग़ हो उसके नीचे नहरें जारी हों और उसके लिए उसमें तरह तरह के मेवे हों और (अब) उसको बुढ़ापे ने घेर लिया है और उसके (छोटे छोटे) नातवॉ कमज़ोर बच्चे हैं कि एकबारगी उस बाग़ पर ऐसा बगोला आ पड़ा जिसमें आग (भरी) थी कि वह बाग़ जल भुन कर रह गया ख़ुदा अपने एहकाम को तुम लोगों से साफ़ साफ़ बयान करता है ताकि तुम ग़ौर करो