You are here: Home » Chapter 2 » Verse 265 » Translation
Sura 2
Aya 265
265
وَمَثَلُ الَّذينَ يُنفِقونَ أَموالَهُمُ ابتِغاءَ مَرضاتِ اللَّهِ وَتَثبيتًا مِن أَنفُسِهِم كَمَثَلِ جَنَّةٍ بِرَبوَةٍ أَصابَها وابِلٌ فَآتَت أُكُلَها ضِعفَينِ فَإِن لَم يُصِبها وابِلٌ فَطَلٌّ ۗ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ بَصيرٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो लोग अपने माल अल्लाह की प्रसन्नता के संसाधनों की तलब में और अपने दिलों को जमाव प्रदान करने के कारण ख़र्च करते है उनकी हालत उस बाग़़ की तरह है जो किसी अच्छी और उर्वर भूमि पर हो। उस पर घोर वर्षा हुई तो उसमें दुगुने फल आए। फिर यदि घोर वर्षा उस पर नहीं हुई, तो फुहार ही पर्याप्त होगी। तुम जो कुछ भी करते हो अल्लाह उसे देख रहा है