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Sura 2
Aya 236
236
لا جُناحَ عَلَيكُم إِن طَلَّقتُمُ النِّساءَ ما لَم تَمَسّوهُنَّ أَو تَفرِضوا لَهُنَّ فَريضَةً ۚ وَمَتِّعوهُنَّ عَلَى الموسِعِ قَدَرُهُ وَعَلَى المُقتِرِ قَدَرُهُ مَتاعًا بِالمَعروفِ ۖ حَقًّا عَلَى المُحسِنينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और अगर तुम ने अपनी बीवियों को हाथ तक न लगाया हो और न महर मुअय्युन किया हो और उसके क़ब्ल ही तुम उनको तलाक़ दे दो (तो इस में भी) तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है हाँ उन औरतों के साथ (दस्तूर के मुताबिक़) मालदार पर अपनी हैसियत के मुआफिक़ और ग़रीब पर अपनी हैसियत के मुवाफिक़ (कपड़े रुपए वग़ैरह से) कुछ सुलूक करना लाज़िम है नेकी करने वालों पर ये भी एक हक़ है