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Sura 2
Aya 221
221
وَلا تَنكِحُوا المُشرِكاتِ حَتّىٰ يُؤمِنَّ ۚ وَلَأَمَةٌ مُؤمِنَةٌ خَيرٌ مِن مُشرِكَةٍ وَلَو أَعجَبَتكُم ۗ وَلا تُنكِحُوا المُشرِكينَ حَتّىٰ يُؤمِنوا ۚ وَلَعَبدٌ مُؤمِنٌ خَيرٌ مِن مُشرِكٍ وَلَو أَعجَبَكُم ۗ أُولٰئِكَ يَدعونَ إِلَى النّارِ ۖ وَاللَّهُ يَدعو إِلَى الجَنَّةِ وَالمَغفِرَةِ بِإِذنِهِ ۖ وَيُبَيِّنُ آياتِهِ لِلنّاسِ لَعَلَّهُم يَتَذَكَّرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानदारी बांदी (दासी), मुशरिक स्त्री से कहीं उत्तम है; चाहे वह तुम्हें कितनी ही अच्छी क्यों न लगे। और न (ईमानवाली स्त्रियाँ) मुशरिक पुरुषों से विवाह करो, जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानवाला गुलाम आज़ाद मुशरिक से कहीं उत्तम है, चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा क्यों न लगे। ऐसे लोग आग (जहन्नम) की ओर बुलाते है और अल्लाह अपनी अनुज्ञा से जन्नत और क्षमा की ओर बुलाता है। और वह अपनी आयतें लोगों के सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे चेतें