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Sura 2
Aya 150
150
وَمِن حَيثُ خَرَجتَ فَوَلِّ وَجهَكَ شَطرَ المَسجِدِ الحَرامِ ۚ وَحَيثُ ما كُنتُم فَوَلّوا وُجوهَكُم شَطرَهُ لِئَلّا يَكونَ لِلنّاسِ عَلَيكُم حُجَّةٌ إِلَّا الَّذينَ ظَلَموا مِنهُم فَلا تَخشَوهُم وَاخشَوني وَلِأُتِمَّ نِعمَتي عَلَيكُم وَلَعَلَّكُم تَهتَدونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और तुम्हारे कामों से ख़ुदा ग़ाफिल नही है और (ऐ रसूल) तुम जहाँ से जाओ (यहाँ तक के मक्का से तो भी) तुम (नमाज़ में) अपना मुँह मस्ज़िदे हराम की तरफ कर लिया करो और (ऐ रसूल) तुम जहाँ कही हुआ करो तो नमाज़ में अपना मुँह उसी काबा की तरफ़ कर लिया करो (बार बार हुक्म देने का एक फायदा ये है ताकि लोगों का इल्ज़ाम तुम पर न आने पाए मगर उन में से जो लोग नाहक़ हठधर्मी करते हैं वह तो ज़रुर इल्ज़ाम देगें) तो तुम लोग उनसे डरो नहीं और सिर्फ़ मुझसे डरो और (दूसरा फ़ायदा ये है) ताकि तुम पर अपनी नेअमत पूरी कर दूँ