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Sura 2
Aya 146
146
الَّذينَ آتَيناهُمُ الكِتابَ يَعرِفونَهُ كَما يَعرِفونَ أَبناءَهُم ۖ وَإِنَّ فَريقًا مِنهُم لَيَكتُمونَ الحَقَّ وَهُم يَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

जिन लोगों को हमने किताब (तौरैत वग़ैरह) दी है वह जिस तरह अपने बेटों को पहचानते है उसी तरह तरह वह उस पैग़म्बर को भी पहचानते हैं और उन में कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो दीदए व दानिस्ता (जान बुझकर) हक़ बात को छिपाते हैं