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Sura 2
Aya 114
114
وَمَن أَظلَمُ مِمَّن مَنَعَ مَساجِدَ اللَّهِ أَن يُذكَرَ فيهَا اسمُهُ وَسَعىٰ في خَرابِها ۚ أُولٰئِكَ ما كانَ لَهُم أَن يَدخُلوها إِلّا خائِفينَ ۚ لَهُم فِي الدُّنيا خِزيٌ وَلَهُم فِي الآخِرَةِ عَذابٌ عَظيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उससे बढ़कर अत्याचारी और कौन होगा जिसने अल्लाह की मस्जिदों को उसके नाम के स्मरण से वंचित रखा और उन्हें उजाडने पर उतारू रहा? ऐसे लोगों को तो बस डरते हुए ही उसमें प्रवेश करना चाहिए था। उनके लिए संसार में रुसवाई (अपमान) है और उनके लिए आख़िरत में बड़ी यातना नियत है