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Sura 18
Aya 65
65
فَوَجَدا عَبدًا مِن عِبادِنا آتَيناهُ رَحمَةً مِن عِندِنا وَعَلَّمناهُ مِن لَدُنّا عِلمًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तो (जहाँ मछली थी) दोनों ने हमारे बन्दों में से एक (ख़ास) बन्दा खिज्र को पाया जिसको हमने अपनी बारगाह से रहमत (विलायत) का हिस्सा अता किया था