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Sura 17
Aya 100
100
قُل لَو أَنتُم تَملِكونَ خَزائِنَ رَحمَةِ رَبّي إِذًا لَأَمسَكتُم خَشيَةَ الإِنفاقِ ۚ وَكانَ الإِنسانُ قَتورًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल) इनसे कहो कि अगर मेरे परवरदिगार के रहमत के ख़ज़ाने भी तुम्हारे एख़तियार में होते तो भी तुम खर्च हो जाने के डर से (उनको) बन्द रखते और आदमी बड़ा ही तंग दिल है