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Sura 16
Aya 35
35
وَقالَ الَّذينَ أَشرَكوا لَو شاءَ اللَّهُ ما عَبَدنا مِن دونِهِ مِن شَيءٍ نَحنُ وَلا آباؤُنا وَلا حَرَّمنا مِن دونِهِ مِن شَيءٍ ۚ كَذٰلِكَ فَعَلَ الَّذينَ مِن قَبلِهِم ۚ فَهَل عَلَى الرُّسُلِ إِلَّا البَلاغُ المُبينُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और मुशरेकीन कहते हैं कि अगर ख़ुदा चाहता तो न हम ही उसके सिवा किसी और चीज़ की इबादत करते और न हमारे बाप दादा और न हम बग़ैर उस (की मर्ज़ी) के किसी चीज़ को हराम कर बैठते जो लोग इनसे पहले हो गुज़रे हैं वह भी ऐसे (हीला हवाले की) बातें कर चुके हैं तो (कहा करें) पैग़म्बरों पर तो उसके सिवा कि एहकाम को साफ साफ पहुँचा दे और कुछ भी नहीं