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Sura 14
Aya 42
42
وَلا تَحسَبَنَّ اللَّهَ غافِلًا عَمّا يَعمَلُ الظّالِمونَ ۚ إِنَّما يُؤَخِّرُهُم لِيَومٍ تَشخَصُ فيهِ الأَبصارُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जो कुछ ये कुफ्फ़ार (कुफ्फ़ारे मक्का) किया करते हैं उनसे ख़ुदा को ग़ाफिल न समझना (और उन पर फौरन अज़ाब न करने की) सिर्फ ये वजह है कि उस दिन तक की मोहलत देता है जिस दिन लोगों की ऑंखों के ढेले (ख़ौफ के मारे) पथरा जाएँगें