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Sura 13
Aya 31
31
وَلَو أَنَّ قُرآنًا سُيِّرَت بِهِ الجِبالُ أَو قُطِّعَت بِهِ الأَرضُ أَو كُلِّمَ بِهِ المَوتىٰ ۗ بَل لِلَّهِ الأَمرُ جَميعًا ۗ أَفَلَم يَيأَسِ الَّذينَ آمَنوا أَن لَو يَشاءُ اللَّهُ لَهَدَى النّاسَ جَميعًا ۗ وَلا يَزالُ الَّذينَ كَفَروا تُصيبُهُم بِما صَنَعوا قارِعَةٌ أَو تَحُلُّ قَريبًا مِن دارِهِم حَتّىٰ يَأتِيَ وَعدُ اللَّهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ لا يُخلِفُ الميعادَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यदि कोई ऐसा क़ुरआन होता जिसके द्वारा पहाड़ चलने लगते या उससे धरती खंड-खंड हो जाती या उसके द्वारा मुर्दे बोलने लगते (तब भी वे लोग ईमान न लाते) । नहीं, बल्कि बात यह है कि सारे काम अल्लाह ही के अधिकार में है। फिर क्या जो लोग ईमान लाए है वे यह जानकर निराश नहीं हुए कि यदि अल्लाह चाहता तो सारे ही मनुष्यों को सीधे मार्ग पर लगा देता? और इनकार करनेवालों पर तो उनकी करतूतों के बदले में कोई न कोई आपदा निरंतर आती ही रहेगी, या उनके घर के निकट ही कहीं उतरती रहेगी, यहाँ तक कि अल्लाह का वादा आ पूरा होगा। निस्संदेह अल्लाह अपने वादे के विरुद्ध नहीं जाता।"