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Sura 11
Aya 62
62
قالوا يا صالِحُ قَد كُنتَ فينا مَرجُوًّا قَبلَ هٰذا ۖ أَتَنهانا أَن نَعبُدَ ما يَعبُدُ آباؤُنا وَإِنَّنا لَفي شَكٍّ مِمّا تَدعونا إِلَيهِ مُريبٍ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

वह लोग कहने लगे ऐ सालेह इसके पहले तो तुमसे हमारी उम्मीदें वाबस्ता थी तो क्या अब तुम जिस चीज़ की परसतिश हमारे बाप दादा करते थे उसकी परसतिश से हमें रोकते हो और जिस दीन की तरफ तुम हमें बुलाते हो हम तो उसकी निस्बत ऐसे शक़ में पड़े हैं