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Sura 11
Aya 30
30
وَيا قَومِ مَن يَنصُرُني مِنَ اللَّهِ إِن طَرَدتُهُم ۚ أَفَلا تَذَكَّرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और मेरी क़ौम अगर मै इन (बेचारे ग़रीब) (ईमानदारों) को निकाल दूँ तो ख़ुदा (के अज़ाब) से (बचाने में) मेरी मदद कौन करेगा तो क्या तुम इतना भी ग़ौर नहीं करते