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Sura 10
Aya 49
49
قُل لا أَملِكُ لِنَفسي ضَرًّا وَلا نَفعًا إِلّا ما شاءَ اللَّهُ ۗ لِكُلِّ أُمَّةٍ أَجَلٌ ۚ إِذا جاءَ أَجَلُهُم فَلا يَستَأخِرونَ ساعَةً ۖ وَلا يَستَقدِمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहो, "मुझे अपने लिए न तो किसी हानि का अधिकार प्राप्त है और न लाभ का, बल्कि अल्लाह जो चाहता है वही होता है। हर समुदाय के लिए एक नियत समय है, जब उनका नियत समय आ जाता है तो वे न घड़ी भर पीछे हट सकते है और न आगे बढ़ सकते है।"