You are here: Home » Chapter 10 » Verse 12 » Translation
Sura 10
Aya 12
12
وَإِذا مَسَّ الإِنسانَ الضُّرُّ دَعانا لِجَنبِهِ أَو قاعِدًا أَو قائِمًا فَلَمّا كَشَفنا عَنهُ ضُرَّهُ مَرَّ كَأَن لَم يَدعُنا إِلىٰ ضُرٍّ مَسَّهُ ۚ كَذٰلِكَ زُيِّنَ لِلمُسرِفينَ ما كانوا يَعمَلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मनुष्य को जब कोई तकलीफ़ पहुँचती है, वह लेटे या बैठे या खड़े हमको पुकारने लग जाता है। किन्तु जब हम उसकी तकलीफ़ उससे दूर कर देते है तो वह इस तरह चल देता है मानो कभी कोई तकलीफ़ पहुँचने पर उसने हमें पुकारा ही न था। इसी प्रकार मर्यादाहीन लोगों के लिए जो कुछ वे कर रहे है सुहावना बना दिया गया है