67المُنافِقونَ وَالمُنافِقاتُ بَعضُهُم مِن بَعضٍ ۚ يَأمُرونَ بِالمُنكَرِ وَيَنهَونَ عَنِ المَعروفِ وَيَقبِضونَ أَيدِيَهُم ۚ نَسُوا اللَّهَ فَنَسِيَهُم ۗ إِنَّ المُنافِقينَ هُمُ الفاسِقونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदमुनाफ़िक़ पुरुष और मुनाफ़िक़ स्त्रियाँ सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। वे बुराई का हुक्म देते है और भलाई से रोकते है और हाथों को बन्द किए रहते है। वे अल्लाह को भूल बैठे तो उसने भी उन्हें भुला दिया। निश्चय ही मुनाफ़िक़ अवज्ञाकारी हैं