66لا تَعتَذِروا قَد كَفَرتُم بَعدَ إيمانِكُم ۚ إِن نَعفُ عَن طائِفَةٍ مِنكُم نُعَذِّب طائِفَةً بِأَنَّهُم كانوا مُجرِمينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"बहाने न बनाओ, तुमने अपने ईमान के पश्चात इनकार किया। यदि हम तुम्हारे कुछ लोगों को क्षमा भी कर दें तो भी कुछ लोगों को यातना देकर ही रहेंगे, क्योंकि वे अपराधी हैं।"