59وَلَو أَنَّهُم رَضوا ما آتاهُمُ اللَّهُ وَرَسولُهُ وَقالوا حَسبُنَا اللَّهُ سَيُؤتينَا اللَّهُ مِن فَضلِهِ وَرَسولُهُ إِنّا إِلَى اللَّهِ راغِبونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयदि अल्लाह और उसके रसूल ने जो कुछ उन्हें दिया था, उसपर वे राज़ी रहते औऱ कहते कि "हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है। अल्लाह हमें जल्द ही अपने अनुग्रह से देगा और उसका रसूल भी। हम तो अल्लाह ही की ओऱ उन्मुख है।" (तो यह उनके लिए अच्छा होता)