55فَلا تُعجِبكَ أَموالُهُم وَلا أَولادُهُم ۚ إِنَّما يُريدُ اللَّهُ لِيُعَذِّبَهُم بِها فِي الحَياةِ الدُّنيا وَتَزهَقَ أَنفُسُهُم وَهُم كافِرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअतः उनके माल तुम्हें मोहित न करें और न उनकी सन्तान ही। अल्लाह तो बस यह चाहता है कि उनके द्वारा उन्हें सांसारिक जीवन में यातना दे और उनके प्राण इस दशा में निकलें कि वे इनकार करनेवाले ही रहे