54وَما مَنَعَهُم أَن تُقبَلَ مِنهُم نَفَقاتُهُم إِلّا أَنَّهُم كَفَروا بِاللَّهِ وَبِرَسولِهِ وَلا يَأتونَ الصَّلاةَ إِلّا وَهُم كُسالىٰ وَلا يُنفِقونَ إِلّا وَهُم كارِهونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउनके ख़र्च के स्वीकृत होने में इसके अतिरिक्त और कोई चीज़ बाधक नहीं कि उन्होंने अल्लाह औऱ उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया। नमाज़ को आते है तो बस हारे जी आते है और ख़र्च करते है, तो अनिच्छापूर्वक ही