121وَلا يُنفِقونَ نَفَقَةً صَغيرَةً وَلا كَبيرَةً وَلا يَقطَعونَ وادِيًا إِلّا كُتِبَ لَهُم لِيَجزِيَهُمُ اللَّهُ أَحسَنَ ما كانوا يَعمَلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर वे थो़ड़ा या ज़्यादा जो कुछ भी ख़र्च करें या (अल्लाह के मार्ग में) कोई घाटी पार करें, उनके हक़ में अनिवार्यतः लिख लिया जाता है, ताकि अल्लाह उन्हें उनके अच्छे कर्मों का बदला प्रदान करे