56الَّذينَ عاهَدتَ مِنهُم ثُمَّ يَنقُضونَ عَهدَهُم في كُلِّ مَرَّةٍ وَهُم لا يَتَّقونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिनसे तुमने वचन लिया वे फिर हर बार अपने वचन को भंग कर देते है और वे डर नहीं रखते