31وَإِذا تُتلىٰ عَلَيهِم آياتُنا قالوا قَد سَمِعنا لَو نَشاءُ لَقُلنا مِثلَ هٰذا ۙ إِن هٰذا إِلّا أَساطيرُ الأَوَّلينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर ख़ुदा तो सब तदबीरकरने वालों से बेहतर है और जब उनके सामने हमारी आयते पढ़ी जाती हैं तो बोल उठते हैं कि हमने सुना तो लेकिन अगर हम चाहें तो यक़ीनन ऐसा ही (क़रार) हम भी कह सकते हैं-तो बस अगलों के क़िस्से है