46كَأَنَّهُم يَومَ يَرَونَها لَم يَلبَثوا إِلّا عَشِيَّةً أَو ضُحاهاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीजिस दिन वह लोग इसको देखेंगे तो (समझेंगे कि दुनिया में) बस एक शाम या सुबह ठहरे थे