7يوفونَ بِالنَّذرِ وَيَخافونَ يَومًا كانَ شَرُّهُ مُستَطيرًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवे नज़र (मन्नत) पूरी करते है और उस दिन से डरते है जिसकी आपदा व्यापक होगी,