1هَل أَتىٰ عَلَى الإِنسانِ حينٌ مِنَ الدَّهرِ لَم يَكُن شَيئًا مَذكورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या मनुष्य पर काल-खंड का ऐसा समय भी बीता है कि वह कोई ऐसी चीज़ न था जिसका उल्लेख किया जाता?