44خاشِعَةً أَبصارُهُم تَرهَقُهُم ذِلَّةٌ ۚ ذٰلِكَ اليَومُ الَّذي كانوا يوعَدونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउनकी निगाहें झुकी होंगी, ज़िल्लत उनपर छा रही होगी। यह है वह दिन जिससे वह डराए जाते रहे है