95ثُمَّ بَدَّلنا مَكانَ السَّيِّئَةِ الحَسَنَةَ حَتّىٰ عَفَوا وَقالوا قَد مَسَّ آباءَنَا الضَّرّاءُ وَالسَّرّاءُ فَأَخَذناهُم بَغتَةً وَهُم لا يَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीफिर हमने तकलीफ़ की जगह आराम को बदल दिया यहाँ तक कि वह लोग बढ़ निकले और कहने लगे कि इस तरह की तकलीफ़ व आराम तो हमारे बाप दादाओं को पहुँच चुका है तब हमने (उस बढ़ाने के की सज़ा में (अचानक उनको अज़ाब में) गिरफ्तार किया