87وَإِن كانَ طائِفَةٌ مِنكُم آمَنوا بِالَّذي أُرسِلتُ بِهِ وَطائِفَةٌ لَم يُؤمِنوا فَاصبِروا حَتّىٰ يَحكُمَ اللَّهُ بَينَنا ۚ وَهُوَ خَيرُ الحاكِمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जिन बातों का मै पैग़ाम लेकर आया हूँ अगर तुममें से एक गिरोह ने उनको मान लिया और एक गिरोह ने नहीं माना तो (कुछ परवाह नहीं) तो तुम सब्र से बैठे (देखते) रहो यहाँ तक कि ख़ुदा (खुद) हमारे दरमियान फैसला कर दे, वह तो सबसे बेहतर फैसला करने वाला है