79فَتَوَلّىٰ عَنهُم وَقالَ يا قَومِ لَقَد أَبلَغتُكُم رِسالَةَ رَبّي وَنَصَحتُ لَكُم وَلٰكِن لا تُحِبّونَ النّاصِحينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीउसके बाद सालेह उनसे टल गए और (उनसे मुख़ातिब होकर) कहा मेरी क़ौम (आह) मैनें तो अपने परवरदिगार के पैग़ाम तुम तक पहुचा दिए थे और तुम्हारे ख़ैरख्वाही की थी (और ऊँच नीच समझा दिया था) मगर अफसोस तुम (ख़ैरख्वाह) समझाने वालों को अपना दोस्त ही नहीं समझते