205وَاذكُر رَبَّكَ في نَفسِكَ تَضَرُّعًا وَخيفَةً وَدونَ الجَهرِ مِنَ القَولِ بِالغُدُوِّ وَالآصالِ وَلا تَكُن مِنَ الغافِلينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर अपने परवरदिगार को अपने जी ही में गिड़गिड़ा के और डर के और बहुत चीख़ के नहीं (धीमी) आवाज़ से सुबह व शाम याद किया करो और (उसकी याद से) ग़ाफिल बिल्कुल न हो जाओ