115قالوا يا موسىٰ إِمّا أَن تُلقِيَ وَإِمّا أَن نَكونَ نَحنُ المُلقينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर मुक़र्रर वक्त पर सब जमा हुए तो बोल उठे कि ऐ मूसा या तो तुम्हें (अपने मुन्तसिर (मंत्र)) या हम ही (अपने अपने मंत्र फेके)