100أَوَلَم يَهدِ لِلَّذينَ يَرِثونَ الأَرضَ مِن بَعدِ أَهلِها أَن لَو نَشاءُ أَصَبناهُم بِذُنوبِهِم ۚ وَنَطبَعُ عَلىٰ قُلوبِهِم فَهُم لا يَسمَعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या जो धरती के, उसके पूर्ववासियों के पश्चात उत्तराधिकारी हुए है, उनपर यह तथ्य प्रकट न हुआ कि यदि हम चाहें तो उनके गुनाहों पर उन्हें आ पकड़े? हम तो उनके दिलों पर मुहर लगा रहे हैं, क्योंकि वे कुछ भी नहीं सुनते