32ثُمَّ في سِلسِلَةٍ ذَرعُها سَبعونَ ذِراعًا فَاسلُكوهُफ़ारूक़ ख़ान & नदवीफिर एक ज़ंजीर में जिसकी नाप सत्तर गज़ की है उसे ख़ूब जकड़ दो