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Sura 65
Aya 7
7
لِيُنفِق ذو سَعَةٍ مِن سَعَتِهِ ۖ وَمَن قُدِرَ عَلَيهِ رِزقُهُ فَليُنفِق مِمّا آتاهُ اللَّهُ ۚ لا يُكَلِّفُ اللَّهُ نَفسًا إِلّا ما آتاها ۚ سَيَجعَلُ اللَّهُ بَعدَ عُسرٍ يُسرًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

चाहिए कि समाई (सामर्थ्य) वाला अपनी समाई के अनुसार ख़र्च करे और जिसे उसकी रोज़ी नपी-तुली मिली हो तो उसे चाहिए कि अल्लाह ने उसे जो कुछ भी दिया है उसी में से वह ख़र्च करे। जितना कुछ दिया है उससे बढ़कर अल्लाह किसी व्यक्ति पर ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं डालता। जल्द ही अल्लाह कठिनाई के बाद आसानी पैदा कर देगा