1يا أَيُّهَا النَّبِيُّ لِمَ تُحَرِّمُ ما أَحَلَّ اللَّهُ لَكَ ۖ تَبتَغي مَرضاتَ أَزواجِكَ ۚ وَاللَّهُ غَفورٌ رَحيمٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ नबी! जिस चीज़ को अल्लाह ने तुम्हारे लिए वैध ठहराया है उसे तुम अपनी पत्नियों की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए क्यो अवैध करते हो? अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है