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Sura 6
Aya 80
80
وَحاجَّهُ قَومُهُ ۚ قالَ أَتُحاجّونّي فِي اللَّهِ وَقَد هَدانِ ۚ وَلا أَخافُ ما تُشرِكونَ بِهِ إِلّا أَن يَشاءَ رَبّي شَيئًا ۗ وَسِعَ رَبّي كُلَّ شَيءٍ عِلمًا ۗ أَفَلا تَتَذَكَّرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और उनकी क़ौम के लोग उनसे हुज्जत करने लगे तो इबराहीम ने कहा था क्या तुम मुझसे ख़ुदा के बारे में हुज्जत करते हो हालॉकि वह यक़ीनी मेरी हिदायत कर चुका और तुम मे जिन बुतों को उसका शरीक मानते हो मै उनसे डरता (वरता) नहीं (वह मेरा कुछ नहीं कर सकते) मगर हॉ मेरा ख़ुदा खुद (करना) चाहे तो अलबत्ता कर सकता है मेरा परवरदिगार तो बाएतबार इल्म के सब पर हावी है तो क्या उस पर भी तुम नसीहत नहीं मानते