79إِنّي وَجَّهتُ وَجهِيَ لِلَّذي فَطَرَ السَّماواتِ وَالأَرضَ حَنيفًا ۖ وَما أَنا مِنَ المُشرِكينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"मैंने तो एकाग्र होकर अपना मुख उसकी ओर कर लिया है, जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया। और मैं साझी ठहरानेवालों में से नहीं।"