और जब तुम्हारे पास वे लोग आएँ, जो हमारी आयतों को मानते है, तो कहो, "सलाम हो तुमपर! तुम्हारे रब ने दयालुता को अपने ऊपर अनिवार्य कर लिया है कि तुममें से जो कोई नासमझी से कोई बुराई कर बैठे, फिर उसके बाद पलट आए और अपना सुधार कर तो यह है वह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।"