You are here: Home » Chapter 6 » Verse 31 » Translation
Sura 6
Aya 31
31
قَد خَسِرَ الَّذينَ كَذَّبوا بِلِقاءِ اللَّهِ ۖ حَتّىٰ إِذا جاءَتهُمُ السّاعَةُ بَغتَةً قالوا يا حَسرَتَنا عَلىٰ ما فَرَّطنا فيها وَهُم يَحمِلونَ أَوزارَهُم عَلىٰ ظُهورِهِم ۚ أَلا ساءَ ما يَزِرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

उसकी सज़ा में अज़ाब (के मजे) चखो बेशक जिन लोगों ने क़यामत के दिन ख़ुदा की हुज़ूरी को झुठलाया वह बड़े घाटे में हैं यहाँ तक कि जब उनके सर पर क़यामत नागहा (एक दम आ) पहँचेगी तो कहने लगेगें ऐ है अफसोस हम ने तो इसमें बड़ी कोताही की (ये कहते जाएगे) और अपने गुनाहों का पुश्तारा अपनी अपनी पीठ पर लादते जाएंगे देखो तो (ये) क्या बुरा बोझ है जिसको ये लादे (लादे फिर रहे) हैं